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Wednesday, April 22, 2020

तहरीर-ए-इश्क़

चुप रहो या कहो सदा मैं सुन लूँगा
तहरीर-ए-इश्क़ में साया तेरा चुन लूँगा
दम भर जो वक्त मिले जीने का संग तेरे
तक़दीर में मोहब्बत का ताना-बाना बुन लूँगा
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vps 'हितैषी'
*तहरीर = लिखाई, लिखावट
22/04/2020

इश्क़ मेरा

इश्क़ नाकामयाब रहा बहुत मेरा 
उसे जो भूला सच में भुला दिया 
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vps 'हितैषी'
22/04/2020

Tuesday, April 21, 2020

वारिस

वह कह भी लेता है सुन भी लेता है अब
अपने दर्द का अकेला वारिस नहीं है वो 
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Thursday, April 16, 2020

दिल की सुराही से

दिल की सुराही से उमड़ रहे जज़्बात
सब्र किया बहुत अब बिगड़े हैं हालात
हर्फ़ लड़खड़ा रहे शब्द बिखर रहे हैं क्यूँ
लब हैं सहमे से इश्क की कैसी ये बिसात!
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© विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
(16/04/2020)

https://www.facebook.com/VPS.hitaishi/posts/2847874911928843

मिलता जा (गीत)

16/04/2020

बीन कर रखे हैं मैंने ख़्वाब सारे 
सींचे थे संग कभी जो आँखों ने हमारे 
दरम्यां जो भी हैं मंज़ूर हो गये फ़ासले, लेकिन 
उधड़ी दास्तानों को जाने से पहले (तू) सिलता जा 
एक बार को याद आने से पहले (तू)... मिलता जा 

उँगलियों में अटकी खुश्बू तेरे बालों की 
काँधे पर तिल की छाप तेरे गालों की  
लाज़मी दिल की बात, छोड़ जा हर वो मुलाक़ात 
तोड़ किस्से पुराने, नये मोड़ पर फूल सा खिलता जा 
एक बार को याद आने से पहले (तू)... मिलता जा 

(क्रमशः)

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© विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'

Tuesday, September 3, 2013

यादों का उपवन सींचा है

कतरा कतरा आँसू देकर यादों का उपवन सींचा है
घूमने आता है तेरे नाम का पंछी, ये वो बगीचा है

मैं दरख़्त ज़मीं का प्यारा, और तेरा है आसमान सारा
साथ जुड़ता भी तो कैसे, मेरा ओहदा तुझसे नीचा है

बेज़ुबां इश्क लेता है अंगड़ाई भरपूर तब तब ज़ालिम
खुलता इस दिल में जब भी तेरे ख़्वाबों का दरीचा है

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© विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'

*दरख़्त = पेड़
*दरीचा = खिड़की

https://www.facebook.com/VPS.hitaishi/posts/555502764499414

Monday, September 2, 2013

वफ़ा निभाना तुमसे

बुलाते ही आ जायेंगे परिन्दे रात में भी 
वफ़ा निभाना तुमसे कौन नहीं चाहेगा!
हटाओगे जो चिलमन अँधेरे में चेहरे से 
परवानों का झुण्ड वहीँ आकर मंडराएगा 

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© विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'

58 minutes ago